सरकारी रोजगार बोर्ड द्वारा बेरोजगारों को रोजगार देने के नाम पर छलावा, 90 फीसदी को रोजगार नहीं मिला

भोपाल : मप्र कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड द्वारा एक साल पहले हजारों युवाओं को रोजगार देने के दावे की जांच होगी। बोर्ड के अफसरों ने जिन युवाओं को भोपाल बुलाकर लेटर ऑफ इंटेन्ट दिए थे, उनमें से 90 फीसदी को रोजगार नहीं मिला है। मजेदार बात तो यह है कि इस मामले की जांच का जिम्मा कौशल विकास विभाग को ही सौंपा गया है,जो खुद जिम्मेदार है।

पिछली सरकार के शासनकाल में हुए रोजगार मेलों की जांच अब कांग्रेस सरकार कराने जा रही है। उसे शिकायतें मिली हैं कि रोजगार बोर्ड द्वारा बेरोजगारों को रोजगार देने के नाम पर छलावा किया गया है। राेजगार मेलों में युवाओं को लेटर ऑफ इन्टेंट थमाकर बहलाया गया है। इस पत्र को लेकर सैकड़ों युवक रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। ऐसे अनेक युवाओं ने मुख्यमंत्री और कौशल विकास मंत्री बाला बच्चन को अपने साथ हुए धोखे से अवगत कराया है। सरकार  इसे पिछली सरकार के शासनकाल का फर्जीवाड़ा बता रही है। लेकिन जांच भी वह कौशल विकास विभाग से ही कराएगी। पिछली सरकार ने विस चुनाव के पहले करीब सवा लाख युवाओं को रोजगार देने का दावा किया था।

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जब युवाओं ने रोजगार न मिलने की शिकायत की तो कहा गया कि जल्द मिल जाएगा। लेकिन एक साल बाद भी हालात जस के तस हैं। बोर्ड ने जिन युवाओं को रोजगार देने का दावा किया था, उनमें से 90 फीसदी को रोजगार कहां मिला है और कितनी सैलेरी मिल रही है? इसकी रिपोर्ट अब तक सबमिट नहीं हो पाई है। यह है मामला

सितंबर 2018 में रोजगार बोर्ड ने मेले का आयोजन किया था। इसमें सवा लाख युवाओं को बोर्ड ने लेटर ऑफ इन्टेन्ट दिए थे। इसका आशय था कि कंपनी में आपको शार्टलिस्ट कर लिया गया है, प्रक्रिया के बाद नौकरी मिल सकती है, जबकि इस लेटर का सही मतलब है कि विज्ञापन के बाद आपने आवेदन कर दिया और फिर कंपनी आपको इंटरव्यू के लिए बुलाएगी।

जांच कर कार्रवाई…

बाला बच्चन, मंत्री, कौशल विकास एवं रोजगार ने  कि रोजगार देने के नाम पर बहुत फर्जीवाड़े हुए हैं। हम उन सभी मामलों में जांच करवाएंगे। खासतौर से रोजगार बोर्ड द्वारा रोजगार देने के मामले में अत्यधिक शिकायतें हैं। पहले इन मामलों की जांच कराएंगे और फिर संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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