बालाघाट (मध्यप्रदेश) : जिले के आदिवासी विभाग में कौशल विकास प्रशिक्षण के नाम पर गंभीर अनियमिततायें किये जाने की जानकारी मिली है , जिसके अनुसार प्रशिक्षण के लिए बालाघाट जिले को दिये गये 1 करोड पांच लाख रू. व्यय करने का हिसाब-किताब नही मिल रहा हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी हितग्राही को प्रशिक्षण नही दिया गया और महज कागजी खाना पुर्ति कर फर्जीवाडा किया गया हैं। इस पूरे मामले को लेकर महालेखाकार (कैग) ने गंभीर आपत्ति उठाई है। इस रिर्पोट के आने के बाद अफसरो की नींद हराम हो गई हैं। मामला 2012-2013 से जुडा हुआ है। महालेखाकार नें बालाघाट सहित प्रदेश के अन्य 20 जिलो की रिर्पोट का हवाला देकर दिये गये 18.69 करोड रू. के व्यय किये जाने की पूरी जानकारी मांगी है।
अधिकारिक सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार विशेष केन्द्रीय मद से व्यावसायिक कौशल विकास प्रशिक्षण के लिये 20 जिले के 89 ब्लाको के लिये 18 करोड 69 लाख रू. दिये गये थे। इसमें प्रतिब्लाक में 210 प्रशिक्षाणार्थी को आधार मानते हुये 18690 हितग्राही को प्रशिक्षण दिया जाना था। इस आधार पर बालाघाट जिले के 3 ब्लाको के लिये 63 लाख रू. 630 प्रशिक्षणर्थियों के लिये दिया गया था। इस राशि का उपयोंग विभागीय संस्था या अन्य संस्था के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाना था, लेकिन हकीकत में ऐसा नही हुआ।
बालाघाट जिले के तीनों ब्लाक में खोले गये प्रशिक्षण केन्द्र महज औपचारिकता बन कर रह गये हैं। इन केन्द्रो पर सन् 1980 के मॉडल की खटारा कार के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो अब मार्केट से गायब हो चुकी हैं। इन केन्द्रो में उपकरण और टूल्स के नाम पर मनमाना खर्च किया गया है। वहीं पुराने सामानो को ही पेन्ट कर और उसे नया बताकर खरीदा गया और उससे प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। आदिवासी विभाग के उपायुक्त नें सभी सहायक आयुक्त को जारी किये गये पत्र में उल्लेख किया हैं कि किसी भी जिले में दिये गये फंड के आधार पर रोजगार स्वरोजगार का प्रशिक्षण ही नही दिया गया। जिस पर कैग ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। वास्तविकता यह है कि विभाग ने फर्जी बिलो के आधार पर आवंटित राशि मेें गडबडी की हैं।
बालाघाट जिले में कौशल विकास उन्नयन के लिये कोई प्रयास नही किये जा रहे हैं, जबकि तीन आदिवासी ब्लाक में जिनमें महज औपचारिकता के लिये कंेन्द्र खोल दिये गये हैं ।
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