रामपुर : बेरोजगारों के प्रशिक्षण के लिए चलाए जा रहे कौशल विकास मिशन में अफसरों ने एनजीओ की मिलीभगत से करोड़ों का घपला कर दिया। शासन से इस घोटाले की जांच के आदेश होने पर खलबली मच गई है। जिलाधिकारी ने इसकी जांच परियोजना अधिकारी डूडा को सौंपी गई, लेकिन जांच में सिर्फ खानापूर्ति की गई। इसपर शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं हुआ और दोबारा किसी दूसरे विभाग से जांच कराने की मांग की, जिसपर मुख्यमंत्री कार्यालय ने नगर विकास व गरीबी उन्मूलन के अपर मुख्य सचिव से 17 सितंबर तक पूरी रिपोर्ट तलब की है।
कौशल विकास मिशन के नाम बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने के लिए एनजीओ का चयन किया गया था। योजना का मकसद गरीब बेरोजगार युवक-युवतियों को कंप्यूटर, सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर, होटल मैनेजमेंट जैसे कोर्स कराकर रोजगार से जोड़ना है। इसकी जिम्मेदारी डूडा और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को दी गई।
आरोप है कि वर्ष 2015-16 में डूडा और मिशन के अधिकारियों ने एनजीओ से साठगांठ करके फर्जी सत्यापन कर विभाग द्वारा मानक के विपरित करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया। लाभार्थियों के चयन में भी धांधली की गई। एक लाभार्थी का नाम कई कई ट्रेड में शामिल कर दिया, जबकि शासनादेश के मुताबिक लाभार्थी एक बार में एक ही ट्रेड में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। शासनादेश यह भी है कि लाभार्थियों के 50 फीसद प्लेसमेंट हो जाने के बाद एनजीओ को आधा भुगतान किया जाए, लेकिन डूडा के अधिकारियों और मिशन प्रबंधकों ने फर्जी प्लेसमेंट के कागज लगाकर भुगतान कर दिया। इसकी शिकायत पूर्व सिपाही मुहम्मद रफी ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की थी। उनकी शिकायत पर शासन ने मंडलायुक्त को जांच के लिए लिखा। मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को आदेश दिए, जिन्होंने परियोजना प्रबंधक नरेंद्र कुमार ¨सह से इसकी जांच कराई, लेकिन पूर्व सिपाही इनकी जांच से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस विभाग का मामला वहीं विभाग घोटाले की जांच निष्पक्ष नहीं कर सकता। ऐसे में उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिसपर मुख्यमंत्री कार्यालय ने नगर विकास एवं गरीबी उन्मूलन विभाग के अपर मुख्य सचिव से 17 सितंबर तक पूरी रिपोर्ट मांगी है।
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