लखनऊ : प्रतिकूल परिस्थितियों का शिकार होकर समाज की मुख्यधारा से अलग हुए 11 हजार बच्चों को कौशल विकास के जरिए न सिर्फ उनमें आत्मविश्वास भरा जाएगा साथ ही वे अपनी आजीविका चलाने लायक बन सकेंगे।
आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश केे संवेदनशील बच्चों, गलियों में रहने वाले बच्चों तथा बाल सुधार गृह के बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयास में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), गृह विभाग, उत्तरप्रदेश सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तरप्रदेश सरकार ने आज एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौता ज्ञापन के तहत उत्तप्रदेश में 11,000 ऐसे बच्चों के लिए विभिन्न कौशल विकास प्रोग्रामों को अंजाम दिया जाएगा।
इस मौकेे पर शिरकत करने वाले दिग्गजों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश व किशोर न्याय की सर्वोच्च न्यायालय समिति के चेयर पर्सन न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलिप भोसले, किशोर न्याय समिति के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव कमल सक्सेना एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
कौशल प्रशिक्षण एवं समग्र विकास के द्वारा इन बच्चों को आर्थिक सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करना, इनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना इस दोवर्षीय साझेदारी का मुख्य उद्देश्य है। यह परियोजना इन बच्चों को स्व-रोजगार एवं काम के अन्य अवसर प्रदान कर आत्मनिर्भर बनने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
समझौता ज्ञापन के अनुसार उत्तरप्रदेश के 10 निर्दिष्ट ज़िलों में बाल सुधार गृहों, युवा केन्द्रों तथा सरकार एवं एनजीओ द्वारा संचालित ऐसे अन्य केन्द्रों के बच्चों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस अवसर पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए जयंत कृष्णा, कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी, एनएसडीसी ने कहा, ‘‘10 ज़िलों में विभिन्न कौशल प्रोग्रामों की स्थापना हेतु उत्तरप्रदेश सरकार के साथ यह साझेदारी उन बच्चों के जीवन में बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो दुर्भाग्य से प्रतिकूल परिस्थितियों का शिकार हो चुके हैं। यह प्रोग्राम न केवल उन्हें कौशल प्रशिक्षण प्रदान करेगा, बल्कि ऐसे अवसर भी उपलब्ध कराएगा जो सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से उनके जीवन में सकरात्मक और स्थायी बदलाव ला सकेंगे।’’
पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने कहा, ‘‘इन बच्चों में सुधार की आवश्यकता के मद्देनज़र कौशल विकास प्रोग्राम ऐसे हर बच्चे को गरिमामय एवं स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रोग्राम के तहत गलियों में रहने वाले बच्चों से लेकर युवा केन्द्रों में रहने वाले युवाओं तक, सभी उम्मीदवारों को प्रशिक्षण एवं प्रमाणपत्र दिए जाएंगे, जिसके बाद रोज़गार केे अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें एक बेहतर कल के लिए तैयार किया जाएगा।’’
रेनुका कुमार, प्रधान सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग ने कहा, ‘‘यह साझेदारी प्रभावी एवं स्थायी प्रोग्रामों के माध्यम से किशोर अपराध कम करने तथा युवाओं की क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित होगी। विभाग युवाओं को उनकी रुचि के क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रोज़गार के अवसर भी देगा, ताकि वे अपना करियर बनाकर आत्मनिर्भर हो सकें और गरिमामय जीवन जी सकें।’’
एनएसडीसी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाय) के तहत विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेन्सियों के साथ विशेष परियोजनाओं को अंजाम दे रहा है। दिल्ली पुलिस के साथ युवा, संवेदनशील युवाओं के लिए इसी तरह का एक कौशल विकास प्रोग्राम है।
एनएसडीसी मानव तस्करी के पीड़ितों के प्रशिक्षण हेतु दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ भी काम कर रहा है। दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के साथ संगठन ने बड़ी संख्या में किशोरों को प्रशिक्षण एवं प्रमाणपत्र दिए हैं। इस तरह के कई अन्य प्रोग्रामों का संचालन एनएसडीसी द्वारा तिहाड़ जेल एवं अन्य जेलों के साथ भी किया जा रहा है।
संजय बेनीवाल, विशेष पुलिस आयुक्त, दिल्ली पुलिस ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने एनएसडीसी केे सहयोग से दिल्ली के आठ पुलिस स्टेशनों में युवा प्रोग्राम की शुरूआत की, जो आज 20 स्टेशनों तक पहुंच गया है। पिछले आठ महीनों में 3,240 युवाओं को कौशल विकास प्रोग्राम के तहत पंजीकृत किया गया है और 1,555 युवा प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी का अनुभव हो रहा है कि 1,110 उम्मीदवारों को अब तक नौकरी भी दी जा चुकी है।’’
श्री बेनीवाल ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘‘उत्तरप्रदेश में अपने प्रेज़ेन्टेशन के दौरान न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायाधीश एवं चेयरमैन, किशोर न्याय समिति, सर्वोच्च न्यायालय; न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्ययालय ने कौशल विकास की दिशा में दिल्ली पुलिस के प्रयासों की सराहना की है।’’
ये कौशल विकास प्रोग्राम दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के शिकार, संवेदनशील बच्चों और पीड़ित युवाओं के पुनर्वास एवं सुधार द्वारा उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने में योगदान देंगे। भविष्य में इन युवाओं द्वारा अपराध की संभावनाओं को कम करना प्रोग्राम का उद्देश्य है ताकि वे खुद गरिमामय जीवन जी सकें और समाज के पुनरुत्थान में भी अपना योगदान दे सकें।
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