‘एक जिला, एक उत्पाद’ की तर्ज पर जैसी मांग, वैसी ट्रेनिंग देने की तैयारी कर रहा है उप्र कौशल विकास मिशन

लखनऊ : युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाने की प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप उप्र कौशल विकास मिशन अपनी कार्ययोजना में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। विभाग ‘एक जिला, एक उत्पाद’ की तर्ज पर जैसी माग, वैसी ट्रेनिंग देने की तैयारी कर रहा है।

राजधानी में पारंपरिक चिकन को बेहतर बनाने की ट्रेनिंग युवाओं को मिलेगी तो बाजार में अन्य कंपनियों की डिमाड का पता लगाने के बाद ही युवाओं को उसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। वाराणसी की साड़ी की डिजाइनिंग के साथ ही उसकी गुणवत्ता में सुधार के साथ ही निर्यात के संभावनाओं की जानकारी टेनिंग मिलेगी। ऐसे ही हर जिले की माग के अनुरूप युवाओं को ट्रेनिंग मिलेगी और ट्रेनिंग के बाद नौकरी दी जाएगी। अलीगंज के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान परिसर स्थित उप्र कौशल विकास मिशन की ओर से राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में प्रशिक्षण के लिए ऐसी संस्थाओं का पंजीयन किया गया है। वर्ष 2018-19 में राजधानी समेत प्रदेश के पंजीकृत 6.74 लाख युवाओं में से 3.53 लाख को बाजार के अनुरूप प्रशिक्षित कर नौकरी देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही न्यूनतम वेतनमान को 6600 प्रतिमाह से बढ़ाकर 7400 कर दिया गया है। प्रशिक्षण देने वाली संस्था को संशोधित वेतनमान के ऊपर ही नौकरी दिलानी होगी, नहीं तो भुगतान रोक लिया जाएगा। ऐसे मिलेगा प्रवेश:

हाईस्कूल या इंटर पास युवा जिनकी उम्र 14 से 35 वर्ष के बीच है, वे प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके लिए युवाओं को उप्र कौशल विकास मिशन के वेबपोर्टल यूपीएसडीएम.जीओवी.इनपर पंजीयन करा सकते हैं। इसके साथ ही यदि आपके घर के पास उप्र कौशल विकास मिशन के तहत संस्थाएं पंजीकृत हैं तो आप सीधे संपर्क कर सकते हैं। वेबपोर्टल में ट्रेडों की जानकारी भी मिल जाएगी।

इनका बातों का रखें ध्यान:

उप्र कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षण से पहले युवा न्यूनतम योग्यता की पड़ताल कर लें। कंप्यूटर से लेकर मोबाइल बनाने और कारपेंटर से लेकर सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। सभी संस्थाओं में प्रशिक्षण की ट्रेडों में भले ही अंतर हो, लेकिन प्रशिक्षण के एवज में आपको कोई भी शुल्क नहीं देना है। मिशन की ओर से शुल्क न लेने का संस्थाओं को निर्देश भी दिया गया है।

उप्र कौशल विकास मिशन एमडी प्राजल यादव का कहना है कि कम्प्यूटर और आइटी जैसे कई क्षेत्र हैं जिनकी ट्रेनिंग के लिए संस्थाएं पंजीयन कराती हैं। बाजार के माग के अनुरूप प्रशिक्षण न मिलने से नौकरी की संभावनाएं भी कम रहती है। जिले वार माग की जानकारी के अनुसार ही संस्थाओं का पंजीयन किया गया है। इस नए नियम से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को नौकरी के अधिक अवसर मिलेंगे।

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