आई टी आई में प्रवेश के साथ अब रोजगार की भी गारंटी

देहरादून : बेरोजगारी दूर करने की दिशा में अब राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) अहम भूमिका निभाएंगे। इस कड़ी में सरकार ने विश्व बैंक की मदद से 25 आइटीआइ को मॉडल बनाने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में दो-दो आइटीआइ अपग्रेड कर इन्हें मॉडल के तौर पर विकसित किया जाएगा। आइटीआइ में प्रवेश के साथ रोजगार की गारंटी की व्यवस्था भी सरकार करने जा रही है। इसके लिए इन संस्थानों में उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण को सीटें तय की जाएगी। यही नहीं, आइटीआइ से पास आउट युवाओं को औद्योगिक इकाइयों में मिलने वाले रोजगार की तीन साल तक मॉनीटरिंग भी की जाएगी।

राज्य में 176 आइटीआइ में से 148 ही संचालित हो रहे हैं। हालांकि, इन संस्थानों के प्रति सिस्टम की बेपरवाही और बदली परिस्थितियों के अनुरूप ट्रेड का संचालन न होने के कारण इनमें हर साल ही आधी सीटें रिक्त रह रही हैं। अब सरकार ने आइटीआइ को गंभीरता से लेते हुए इनकी दशा सुधारने और इन्हें युवाओं को रोजगार देने की दिशा में अहम बनाने का निश्चय किया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कौशल विकास विभाग की समीक्षा बैठक में इस सिलसिले में निर्देश भी दिए। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कौशल विकास मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि सभी आइटीआइ को हर दृष्टिकोण से सरसब्ज किया जाएगा।

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इसी कड़ी में 25 आइटीआइ को विश्व बैंक की मदद से अपग्रेड कर मॉडल के रूप में तैयार किया जाएगा। इस साल गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों में दो-दो आइटीआइ को मॉडल बनाया जाएगा। इन आइटीआई में उद्योगों से टाइअप कर उनकी मांग के अनुरूप सीटें तय कर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ. रावत के अनुसार मॉडल आइटीआइ में प्रवेश के साथ ही रोजगार की गारंटी भी सुनिश्चित की जाएगी।

पास आउट होने वाले युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप ट्रेंड होने पर वे उन्हें रोजगार भी देंगे। इसका उनसे बाकायदा अनुबंध होगा। उन्होंने कहा कि आइटीआइ से निकले युवाओं को मिलने वाले रोजगार की मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके लिए विभाग में विशेष प्रकोष्ठ गठित किया जाएगा। यह प्रकोष्ठ तीन साल तक यह मानीटरिंग करेगा कि संबंधित युवाओं को रोजगार मिल रहा है या नहीं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि राज्य के 94 आइटीआइ को केंद्र सरकार से भी मान्यता मिल गई है।

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