देहरादून : राज्य में बेरोजगारों के रोजगार के सपनों में अब सरकारी आइटीआइ नया रंग भरने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कौशल विकास और स्टार्ट अप की मुहिम को राज्य में मजबूती से आगे बढ़ाने में अब सरकारी आइटीआइ भी अहम हिस्सेदार होने जा रहे हैं। विश्वबैंक की मदद से मिलने वाले 600 करोड़ की मदद से राज्य के आइटीआइ में आमूलचूल बदलाव कर 25 आइटीआइ को मॉडल के तौर पर विकसित किया जाएगा।
कौशल विकास और स्टार्ट अप में अहम भूमिका निभाने वाले इन आइटीआइ के लिए मास्टर प्लान बनेगा। इस संबंध में जल्द ही राज्य सरकार, विश्व बैंक और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। तकनीकी शिक्षा प्रभारी सचिव डॉ पंकज पांडेय ने बताया कि विश्व बैंक से मिलने वाली राशि 80:20 के अनुपात में राज्य सरकार को मिलेगी। इसमें राज्य की हिस्सेदारी 20 फीसद होगी। 25 आइटीआइ के चयन के लिए हरके आइटीआइ को परखा जाएगा। इस कार्य के लिए प्रतिष्ठित कंपनी इएंडवाई का चयन किया गया है। यह कंपनी हरेक आइटीआइ का दौरा कर वहां चल रहे पाठ्यक्रमों की मौजूदा स्थिति, उपयोगिता व उद्योगों की जरूरत समेत तमाम बिंदुओं की समीक्षा करते हुए रिपोर्ट तैयार करेगी।
कंपनी छह माह के भीतर इस कार्य को अंजाम देगी। वर्तमान में राज्य में कुल आइटीआइ की संख्या 176 है। लेकिन, इनमें से 148 ही संचालित हो रहे हैं। संचालित होने वाले आइटीआइ में भी अच्छी हालत में गिने-चुने ही हैं। तमाम खामियों के चलते फिलवक्त आइटीआइ कुशल कार्मिकों को लेकर उद्योगों की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसका असर स्वरोजगार और रोजगार के मौके पर भी पड़ रहा है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर मॉडल आइटीआइ का मास्टर प्लान बनेगा। इन आइटीआइ का उद्योग से टाई-अप होगा। इसके मुताबिक ही पाठ्यक्रम समेत अन्य व्यवस्थाओं का इंतजाम आइटीआइ में किया जाएगा। ये मॉडल आइटीआइ राज्यभर के 148 आइटीआइ के लिए नोडल का काम करेंगे। साथ में नजदीकी आइटीआइ को अपग्रेड करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। पांच वर्षीय उक्त योजना का असर एक वर्ष बाद ही दिखने लगेगा।
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