देहरादून : उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की संभावनाएं देखते हुए केंद्रीय रेशम बोर्ड ने इसके जरिए यहां रोजगार के अवसर पैदा करने की कार्ययोजना बनाई है। बोर्ड इस साल करीब 22 हजार दो सौ लोगों को रेशम कीट पालन के लिए प्रशिक्षित करेगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 150 लोगों का चयन कर प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
देहरादून स्थित क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज तिवारी ने बताया कि विभाग की ओर से उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, हरियाणा में भी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। राज्य सरकारों के सहयोग से इन प्रदेशों में मौजूद 16 कार्यालय लोगों को प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए तैयार करते हैं।
बताया कि छोटा प्रदेश होने के बावजूद उत्तराखंड में रेशम कीट पालन के लिए बेहतर संभावनाएं हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा कार्यालय यहीं खोले गए हैं। बताया कि उत्तर प्रदेश में छह, उत्तराखंड में पांच कार्यालय खोले गए हैं, जबकि हिमाचल में तीन, हरियाणा, राजस्थान में एक-एक कार्यालय है।
उत्तराखंड ही उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां रोशम कोया की खुली मार्केट लगती है। डॉ. तिवारी ने बताया कि बोर्ड ने इन्हीं कारणों से उत्तराखंड को खास तरजीह देते हुए 2016-17 के दौरान 22 हजार 200 लोगों को रेशम कीट पालन में दक्ष करने की कार्ययोजना बनाई है। इसके लिए कालसी (देहरादून), पथरी (हरिद्वार), कोटद्वार, बागेश्वर, हल्द्वानी कार्यालयों के जरिए 440 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इन कार्यक्रमों में रेशम कीट पालन से जुड़ी बीरीकियां सिखाई जाएंगी। प्रशिक्षण के बाद भी केंद्र तकनीकी देखरेख और सहायता देता रहेगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 150 उद्यमी तैयार किए जाएंगे। इनमें से 130 रेशम कीट उत्पादक होंगे, जबकि अन्य 20 में छात्र, स्वयंसेवी संगठन आदि हो सकते हैं। सभी प्रशिक्षुओं के भोजन आदि का इंतजाम उनका केंद्र करेगा। इसके अलावा रोज 150 रुपए का भत्ता भी दिया जाएगा।
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