वैशाली (बिहार) : वर्तमान परिवेश में महिलाओं के लिए शिक्षित होने के साथ-साथ ही आर्थिक रूप से स्वावलंबी होना भी अति-आवश्यक है। बिना आर्थिक स्वावलंबन के केवल शिक्षित होने से न तो महिलाओं का विकास संभव है और न ही सामाजिक रूप से महत्व। इसलिए आज की हर-एक महिला को शिक्षा अर्जित करने के साथ ही शिक्षा से अर्जित गुणों से स्वयं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने हेतु हर-संभव प्रयास किए जाने चाहिए। यह बात हाजीपुर स्थित शुक्ला सभागार में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में कौशल विकास की भूमिका विषय पर सोमवार को आयोजित परिचर्चा के दौरान अपने संबोधन में समाजसेवी सुधीर कुमार शुक्ला ने कही।
उन्होंने महिलाओं द्वारा अब तक किए गए विकास के संबंध में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिवेश में आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में महिलाओं के जागरूक होने से विकास के हर पायदान पर महिलाओं की उपस्थिति देखी जा रही है। बावजूद यह संख्या अनुमान से कहीं अधिक सीमित है। इसलिए आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से महिलाओं को सशक्त होने के लिए उनकी अर्जित शैक्षिक अहर्ता को व्यावसायिकता में तब्दील करने हेतु कौशल विकास योजना के सभी आयामों से जुड़ना आवश्यक है। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु प्रयासरत कृति फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस परिचर्चा में उपस्थित विभिन्न महिला प्रतिनिधियों के बीच स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कई कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। फाउंडेशन की सचिव सारिका कुमारी ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सभी कार्यक्रमों से महिलाओं को लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया। इस दौरान चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक संजीव कुमार, स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षक राकेश कुमार, बिट्टु कुमार, मधुबाला सिन्हा, प्रीति कुमारी, रूपा कुमारी, बेबी कुमारी, मो. इकराम एवं रंजू मिश्रा के अलावा कई गणमान्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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