गुजरात : गुजरात के वड़ोदरा में रहने वाले आदिवासी युवाओं की जिंदगी अब बदल रही है। ये आदिवासी जंगल की दुनिया से आजाद होकर, हाईवे पर रफ्तार भर रहे हैं। सरकारी-निजी भागीदारी के चलते इनकी जिंदगी में बदलाव आ रहा है। ये युवा अपने गांव की पहली पीढ़ी हैं, जो शहर में आकर अपनी किस्मत और जिंदगी बदलने में जुटे हैं। गुजरात के वड़ोदरा में राज्य सरकार और मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के साझा प्रयासों से आदिवासी युवाओं के कौशल विकास (skill development) के लिए इन्हें ड्राइवर की ट्रेनिंग दी जा रही है। ये युवा ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में मुफ्त में गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग लेते हैं। शुरुआत में इन्हें झिझक भी होती है, लेकिन बेहतर इंस्ट्रकटर्स की मदद से ये युवा जल्द ही एक कुशल ड्राईवर बन कर निकलते हैं।
45 दिनों के कोर्स में इन युवाओं को ड्राईविंग के अलावा पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और अंग्रेजी की ट्रेनिंग भी दी जाती है। इतने कम समय में ये आपस में इतने घुल मिल जाते हैं कि इनका सांस्कृतिक पहलू भी निखर कर सामने आता है। ऑन फील्ड ट्रेनिंग से पहले सभी को हाईटेक सिमुलेटर्स पर ट्रेनिंग दी जाती है। फिर गाड़ी चलाने की बेसिक ट्रेनिंग और इसके बाद जिस गाड़ी को चलाने में छात्र आगे करियर बनाना चाहता है उसमें स्पेशलाईजेशन। इंडस्ट्री में इन ड्राईवरों की मांग इतनी है कि कोर्स खत्म होते-होते इंस्टीट्यूट के सभी छात्र कहीं ना कहीं प्लेसमेंट पा चुके होते हैं। ट्रेनिंग के बाद इनकी आय लगभग दो गुनी तक हो जाती है और औसतन ये युवा 8 से 14 हजार रुपये महीना तक कमा लेते हैं।
कार, बस, ट्रक या फोर्क लिफ्ट यहाँ हर उस गाड़ी को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है जिसकी बाजार को जरूरत है। नतीजा ये कि इन बच्चों का आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है साथ ही कमाई भी। ये संस्थान आदिवासी बच्चों के हुनर को पहचान कर उन्हे इंडस्ट्री की जरूरतों के लिए तैयार कर रहा है। इंडस्ट्री को यहां से कुशल ड्राइवर मिल जाते हैं और रोजगार के माध्यम से ये युवा भी अपनी जिंदगी को बेहतर कर रहे हैं।
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