बोकारो : केंद्र व राज्य सरकार की ओर से युवाओं को हुनरमंद बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। सरकार की ओर से कौशल विकास (skill development) के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। वित्तीय वर्ष 2014-15 में चास- बोकारो के अलावा आसपास के युवाओं को दक्ष बनाने के लिए चास के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को मॉडल बनाने की घोषणा की गई थी। इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए एक करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। लेकिन एक वर्ष बाद भी इस संस्थान की सूरत नहीं बदल सकी है। यह योजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है। सुविधा व संसाधन के अभाव में विद्यार्थियों व कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में बिजली की आवाजाही और लो वोल्टेज से विद्यार्थी खासे परेशान हैं। गर्मी के दिनों में बिजली नहीं रहने या लो वोल्टेज के कारण विद्यार्थी वर्कशॉप में ठीक से प्रशिक्षण हासिल नहीं कर पाते हैं। यहां के लिए एक जेनरेटर की व्यवस्था की गई है। लेकिन अभी तक जेनरेटर को एसेम्बल नहीं किया गया है। इससे नया जेनरेटर बेकार पड़ा है।
नहीं लगाए गए नए उपकरण : पहले चरण में यहां कक्षा को मॉडल रुप दिया जा रहा है। कुछ कक्षाओं में नए बेंच-डेस्क लगाए गए हैं। लेकिन वर्कशाप में आज भी पुराने उपकरण लगे हैं। यहां नवीनतम उपकरण व साफ्टवेयर लगाया जाना है, ताकि विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जा सके। महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग आधुनिक शौचालय बनाना है। लेकिन अभी तक ऐसा संभव नहीं हो सका है। इसलिए यह योजना गति नहीं पकड़ सकी है।
प्राचार्य व कर्मचारियों के पद रिक्त : इस औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्राचार्य व कर्मचारियों का पद रिक्त पड़ा है। इससे यहां प्राचार्य का एक पद स्वीकृत है जो रिक्त है। कारखाना निरीक्षक गोपाल प्रसाद संस्थान के प्राचार्य के अतिरिक्त प्रभार में हैं। इसलिए काम सुचारु रुप से नहीं हो पाता है। यहां सहायक अधीक्षक का एकए मुख्य अनुदेशक के पांचए प्रधान लिपिक का एकए मिश्रक का एक पद सृजित है जो रिक्त है। इसके अलावा अनुदेशक के 43 पद स्वीकृत हैं इनमें 18 पद रिक्त हैं। लिपिक के 7 में से तीन एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के 21 में से 16 पद रिक्त हैं। झारखंड राज्य के गठन के बाद से ही यहां कर्मचारियों की प्रोन्नति लंबित है। इसके लिए कई बार आंदोलन किया गया। लेकिन नतीजा सिफर रहा।
सुविधा-संसाधन की कमी : संस्थान में अध्ययनरत कौशल कुमार, शुभम कुमार पाल, संतोष कुमार साव व जितेन्द्र रजक ने कहा कि यहां सुविधा व संसाधन की कमी है। बिजली की आवाजाही से काफी परेशानी होती है। विद्यार्थियों को टैबलेट देने की बात कही गई थी। लेकिन आज तक टैबलेट नहीं दिया गया। इसके अलावा कुछ विद्यार्थियों ने स्कालरशिप के लिए ऑन लाइन आवेदन किया था। लेकिन विद्यार्थियों को स्कालरशिप नहीं मिली। यहां विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी नहीं है। इसलिए दूर-दराज के ग्रामीण विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती है।
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